खुल गये भगवान श्री बद्री विशाल के कपाट
(सुभाष कपिल)
भगवान श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट आज शुक्रवार को प्रात: ब्रह्म मुहुर्त 4-30 पर घनिष्ठा नक्षत्र पर वेद मंत्रों की पवित्र स्वर लहरियों के साथ खुल गये हैं । शुभ मुहुर्त पर सबसे पहले मंदिर के विराट सिंहद्वार के द्वार खुले । पूरा सिंह द्वार हजारों फूलों से सजा था। सर्व प्रथम सिंह द्वार के द्वार मंत्र ध्वनि के बीच खुले । तदुपरान्त मंदिर के गर्भ गृह के कपाट खुले । सबसे पहले रावल श्रीमन ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने गर्भ गृह में प्रवेश किया । भगवान के पवित्र सदा पूज्य विग्रह के श्री चरणों ने साष्टांग प्रणाम किया । सभा मंडप में धर्माधिकारी पंडित भुवन चंद्र उनियाल और अपर धर्माधिकारियों ने भगवान श्री हरि की वंदना अर्चना में मंत्रों को पढ़ा । रावल जी ने शीत काल में अब तक घृत कम्बल धारण किये भगवान के विग्रह से घृत कम्बल श्रद्धा सम्मान से निकाला । पदमासन में बैठे शालिग्राम शिला पर स्वयं विग्रह भगवान की पहले दर्शन का पुण्य मिला । इसके बाद भगवान का पवित्र जलों से स्नात ( स्नान ) हुआ । कपाट बंद होने पर भगवती लक्ष्मी का विग्रह जो भगवान के सानिध्य में था । उसे निकट के लक्ष्मी मंदिर में प्रतिष्ठापित किया गया । इसके बाद भगवान के सानिध्य में उद्धव जी , कुबेर जी महाराज के बिग्रह को रखा गया । भगवान के अदभुत अलौकिक निर्वाण दर्शन किये किये । फिर भगवान का अभिषेक प्रारम्भ हुआ ।
भगवान बदरी विशाल के बारे में कहा जाता है
"कृते मुक्ति प्रदा प्रोक्ता त्रेतयां योग सिद्दिधा
विशाला द्वापरे प्रोक्ता कलौ बदरिकाश्रम ।"
बदरी नाथ के कपाटोद्घाटन के अवसर पर ऐसा पहली बार हुआ जब सीमित संख्या और निर्धारित संख्या में ही लोग रहे । रावल जी . धर्माधिकारी . अपर धर्माधिकारी , हक हकूक धारी अन्य पूजा ब्यवस्था रखने वाले सीमित संख्या में देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी कर्मचारी । अनादि काल से भगवान के कपाट खुलने पर हजारों श्रद्धालु भगवान के कपाट खुलने के साक्षी होते थे । पर इस बार विश्व ब्यापी ब्याधि कोरोना संक्रमण की सतर्कता को देखते हुये लाक डाउन और दिशा निर्देश के अनुसार बदरीनाथ के कपाट खुलने के पुण्य अवसर पर सीमित संख्या में ही लोग रहे ।
" हे करुणा के सागर , सबके दुख , ब्याधि हरने और संसार के हर प्राणी को सुख आरोग्य प्रदान करने वाले भगवान बदरी विशाल , श्री हरि . हे नारायण ।
ऐसी कृपा कीजिये कि विश्व वर्तमान ब्याधि से मुक्त हो। और आपका दर्शन सबको मिले ।
जय बदरी विशाल