प्राचीन छड़ी यात्रा अन्तिम पढ़ाव के लिए पौराणिक तीर्थ बिनसर महादेव से रवाना श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की उत्तराखंड के समस्त तीर्थो व चारों धाम की यात्रा के पश्चात प्राचीन पौराणिक पवित्र छड़ी यात्रा रविवार को अपने अन्तिम पड़ाव बिनसर महादेव मन्दिर,बूढा केदार होते हुए भमियाथान मासी पहुची । सवेरे देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित पौराणिक तीर्थ बिनसर महादेव मन्दिर में मन्दिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत रामगिरि महाराज ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर अन्तिम पड़ाव के लिए रवाना किया। इससे पूर्व पवित्र छड़ी ने बिनसर महादेव के दर्शन किए तथा साधुओं के जत्थे ने जलाभिषेक कर विश्व शांति,कोरोना समाप्ति तथा राष्ट्र की उन्नति की कामना के साथ पूजा अर्चना की। पर्यटन स्थल रानीखेत से लगभग 20किलोंमीटर दूर देवदार के घने जंगलों में स्थित भगवान शिव के इस मन्दिर का मिर्नाण 10वीं शताब्दी में किया गया था। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में इस मन्दिर का निर्माण कर दिया था। यह भी मान्यता है कि इस मन्दिर को दसवीं शताब्दी में राजा पीथू ने अपने पिता बिंदू की स्मृति में बनाया था। इसलिए इसे बिन्देश्वर महादेव बिनसर महादेव के नाम भी जाना जाता है। बिनसर महादेव से पवित्र छड़ी प्राचीन पौरणिककालीन शिव मन्दिर बूढ़ा केदार वृद्व केदार पहुची,जहां केदार गाॅव के सरपंच आनंद सिंह पंडित टीकाराम मन्दिर समिति के महामंत्री तारादत्त,मंत्री भगवत सिंह,कोषाध्यक्ष जगता सिंह तथा पुजारी पंडित नारायण के नेतृत्व में केदार पुल पर पवित्र छड़ी का ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। यहां से पवित्र छड़ी बूढ़ा केदार मन्दिर पहुची,जहां भगवान शिव का जलाभिषेक कर सम्पूर्ण मानव जगत की मंगलकामना हेतु पूजा अर्चना की गयी। बूढ़ा केदार से पवित्र छड़ी प्रमुख महंत व जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि के नेतृत्व में भूमियाथान मासी पहुची। भूमिया मन्दिर समिति के अध्यक्ष रामस्वरूप मासीवाल,उपाध्यक्ष मोहनचंद मासीवाल,सदस्यगण गोपाल सिंह,नंदकिशोर,संतोष मासीवाल,गोविन्द सिंह,भगवत सिंह विष्ट,हीराबल्लभ मासीवाल,शिवदत्त मासीवाल,भुवनचंद गौड़,ग्राम प्रधान शंकरचंन्द जोशी,वैद्य शिवदत्त,नंदकिशोर आर्य आदि ने सैकड़ो ग्रामीणों के साथ पुष्प वर्षा व पूजा अर्चना कर पवित्र छड़ी का जोरदार स्वागत किया। नगाड़ा निशान धर्मध्वजा,नरसिंह,बैंडबाजों और शंखध्वनि के साथ पवित्र छड़ी की लगभग एक किलोमीटर लम्बी शोभायात्रा निकाली गयी। मार्ग में जगह जगह पर श्रद्वालु ग्रामीणों ने पवित्र छड़ी की आरती उतारी और आर्शीवाद प्राप्त किया। भूमिया मन्दिर पहुचने पर पंडित पूरणचंद द्वारा पूजा अर्चना की गयी। इस अवसर पर श्रद्वालुओं को संबोधित करते हुए जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बताया इस पवित्र छड़ी की एक हजार वर्ष पूर्व आद्यजगदगुरू शंकराचार्य महाराज ने अधर्मियों के विनाश तथा सनातन धर्म की पुनस्थापना के लिए प्रारम्भ किया था। लगभग 70वर्ष पूर्व दुर्भाग्यवश यह यात्रा अवरूद्व हो गयी थी। लेकिन गत वर्ष मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सद्प्रयासों और जूना अखाड़े के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि जी महाराज की प्रेरणा से पुनः प्रारम्भ हो गयी है। इस पवित्र छड़ी यात्रा का उददे्श्य उत्तराखण्ड के उपेक्षित पौराणिक तीर्थ स्थलों की प्रतिष्ठा को पुर्नस्थापित करना तथा तीर्थाटन व पर्यटन को बढ़ावा देना है। समिति के अध्यक्ष रामस्वरूप मासीवाल ने कहा पवित्र छड़ी गैवाड़ क्षेत्र में अन्य पौराणिक तीर्थस्थलों पर भी ले जानी चाहिए। ताकि आम जनता को इसकी जानकारी तथा पौराणिक महत्व का ज्ञान हो सके। पौराणिक सिद्वपीठ गर्जिया देवी मन्दिर दर्शनों के लिए पहुची। मन्दिर में दर्शनों तथा पूजा अर्चना के पश्चात पवित्र छड़ी रात्रि विश्राम के लिए रामनगर पहुची।
प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा बिनसर महादेव से बूढ़ा केदार होते हुए अपने अंतिम पढ़ाव की और रवाना